*पीलीभीत जिले का हजारा क्षेत्र दुबारा भीषण बाढ़ की चपेट में बना टापू ,क्षेत्र को बचाने के लिए खर्च हो चुका है अरबों का बजट!
*राजकीय पौधशाला मुरैनियाँ गाँधी नगर भीषण बाढ़ की चपेट में बड़ी तबाही*
ब्यूरो- संतोष कुमार मित्रा
बेनकाब भ्रष्टाचार
जिला- पीलीभीत । पीलीभीत जिला किसी पहचान का मोहताज नहीं जहाँ अनेकों सरकारों में केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक में प्रतिनिधित्व न रहा हो वावजूद इसके जिला पीलीभीत कटान व बाढ़ की विभीषिका से उबर नहीं पाया वहीं सरकारों ने भी इस विपदा से उबरने के लिए समय – समय पर अरबों रुपये का बजट मुहैया कराया जाता रहा है बावजूद इसके हजारों एकड़ जमीने प्रति वर्ष नदी में समाती चली जा रही हैं क्षेत्र की इस विकराल त्रासदी पर किसी भी माननीय ने पूर्ण मनोयोग से सुध नहीं ली जो आम जनमानस के लिए चिंता विषय है!
बताते चले की जिला पीलीभीत में दुबारा भीषण बाढ़ की वजह से आम जन जीवन अस्त व्यस्त तो हुआ ही है वही हजारा क्षेत्र के कई गांव कटान से उबरे भी नहीं थे कि दुबारा भीषण बाढ़ ने तबाही मचा दी है।राजकीय पौधशाला मुरैनियाँ गाँधीनगर भीषण बाढ़ की चपेट में आने से नर्सरी के सभी नवीन पौधे जमींदोज हो गए पानी के तेज बहाव के कारण थाना हजारा के समीप का मुख्य मार्ग कट गया जिससे आवागमन अवरुद्ध हो गया है पूरे ट्रांश शारदा क्षेत्र में बाढ़ का तांडव देखने को मिला तो वही खीरी क्षेत्र के भीरा पलिया मार्ग पर अत्यधिक पानी के तेज बहाव को देखते हुए प्रशासन ने जन हानि के मद्देनजर हाइवे को
बंद करा दिया है जिससे हजारा क्षेत्र टापू बन गया और अपने जिले से अछूता हो गया है।
क्षेत्र के लोगो ने बताया की प्रति वर्ष इस तरह की बाढ़ आने की वजह से हज़ारों एकड़ खड़ी फसलें बर्बाद होने के साथ ही जमीनें नदी मे समाती जा रही है। बचाव के नाम पर असमय व अनियमित तरीके से सरकार के द्वारा दिया गया बजट प्रति वर्ष खपाया जाता रहा है इस त्रासदी पर किसी माननीय का ध्यान नहीं जाता है जिसका परिणाम पुरे जिले के किसान सहित आम जनता भुगतती रही है और न जाने कब तक भुगतती रहेगी!
हजारा क्षेत्र के पीड़ित किसान व आम जनमानस में गहरा आक्रोश है कि सरकारों द्वारा समय समय पर बाढ़ व कटान से निपटने के लिए भारी भरकम बजट मुहैया कराया जाता रहा है बावजूद इसके दशकों से बाढ़ व कटान में कोई कमी नहीं आयी जो आम जनमानस के लिए चिंता का विषय है!
हजारा क्षेत्र का आम जनमानस कटान व बाढ़ को लेकर व अब तक हुए बचाव कार्य से असंतुष्ट होने के साथ आक्रोशित भी है कि किसी त्रासदी के बाद कोई भी माननीय हजारा क्षेत्र की एक लाख की आबादी का दर्द, दुःख और पीड़ा का अवलोकन करने नहीं आया! और
किसी भी माननीय ने पूरे मनोयोग से इस दो दशकों में इस क्षेत्र की सुध नहीं ली!
जो आम जनमानस को कचोटता ही नहीं बल्कि भावविभोर भी करता है!!!