के शिक्षा मित्रों ने 25 जुलाई 2017 को हुऐ समायोजन रद्द से अब तक लगभग 10 हजार शिक्षा मित्रों की अल्प मानदेय की प्रताड़ना से अकाल मौत हो चुकी है जिसे जिले के सभी शिक्षा मित्रों ने शहीद हो चुके साथियों को श्रद्धांजलि दी और 25 जुलाई को काला दिवस के रूप में मनाया और सरकार को ज्ञापन सौप कर समस्याओं के निस्तारण की मांग की।
बताते चले शिक्षा मित्रों को बेसिक शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देते हुए 25 वर्ष हो गए इस दौरान पूर्व की सरकारों ने समय समय पर मानदेय बढ़ाया तो वही पूर्व की सरकार ने इनके अल्प मानदेय व कार्य पद्धति को देखते हुए दुरस्थ शिक्षा प्रणाली से कोर्स कराकर शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत 2014 मे 1.24 लाख शिक्षा मित्रों को सरकार ने समायोजित कर दिया परंतु मामला कोर्ट जा पहुंचा जहां काफी जद्दोजहद के बाद माननीय कोर्ट ने समायोजन रद्द कर दिया जो फैसला कानूनविदों, शिक्षाशास्त्रियों आदि को भी संशय में डाल दिया ! जिस पर पुनर विवेचना भी ठीक से नही हो पाई।
सरकार ने आनन फानन में माननीय कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को अपनी तरीके से व्याख्यान करके शिक्षा मित्रों को उनके पूर्व पद पर भेज दिया और 40 हजार वेतन से घटाकर मानदेय के रूप में 10 हजार दे कर शिक्षण कार्य सहित अन्य विभागीय कार्यों में लगा दिया गया 25 जुलाई 2017 से अब तक किसी प्रकार की मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की गई अल्प मानदेय में पारिवारिक जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन न कर पाने के कारण और सरकार के अनदेखी के चलते अनेकों लोग मानसिक अवसाद में चले गए जिसके कारण हजारों की संख्या में लोगों ने आत्महत्या कर ली तो वही बड़ी विडंबना है कि कोर्ट ने भी इतनी बड़ी मानवीय आत्महत्याओं पर भी स्वतः संज्ञान नहीं लिया जो भारतीय लोकतंत्र के मानवाधिकार की आत्मा को झकझोरता है!
यूपी के शिक्षा मित्रों ने 25 जुलाई को मनाया काला दिवस – दिया ज्ञापन
