पूरी तरह से सुरक्षित है फाइलेरिया रोधी दवा:जिलाधिकारीDeoria


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फाइलेरिया से बचाव के लिए 10 दवा खाकर एमडीए अभियान का किया शुभारम्भ

पांच साल तक लगातार साल में एक बार दवा के सेवन से होता है फाइलेरिया से बचाव

लाइलाज है फाइलेरिया, दवा सेवन और मच्छरों से बचाव ही है उपाय

देवरिया फाइलेरिया (हाथीपांव) एक लाइलाज बीमारी है। इससे बचाव के लिए शनिवार को सीएमओ कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी दिव्या मित्तल, पुलिस अधिक्षक संकल्प शर्मा और एडी हेल्थ डॉ एनपी गुप्ता के साथ सीएमओ डॉ राजेश झा ने खुद दवा का सेवन कर एमडीए अभियान का शुभारम्भ किया। इस दौरान कार्यालय में मौजूद सभी कर्मचारियों ने दवा का सेवन किया। साथ ही जिले के सभी ब्लाकों में अभियान का शुभारम्भ किया गया।

इस दौरान जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी से बचाव के लिए साल में एक बार पांच साल तक लगातार सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान के दौरान दवा का सेवन जरूरी है। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि दवा खाने के बाद कुछ लोगों में हल्की मितली, सिरदर्द, चक्कर आना जैसे लक्षण आते हैं, इससे घबराना नहीं चाहिए। यह एक अच्छा संकेत है और यह तब होता है जब शरीर के भीतर मौजूद माइक्रो फाइलेरिया मरते हैं।

एडी हेल्थ डॉ एनपी गुप्ता ने कहा कि माइक्रो फाइलेरिया के संक्रमण से लिम्फोडिमा (हाथ, पैर, स्तन में सूजन) और हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) हो जाता है । प्रबंधन के जरिये लिम्फोडिमा को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है । इस बीमारी से बचाव के लिए पांच साल तक लगातार साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन आवश्यक है । बीमारी से बचाव के लिए दवा के सेवन और इसका संक्रमण फैलाने वाले मच्छरों से बचाव आवश्यक है।

सीएमओ डॉ राजेश झा ने कहा कि आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन इसके लक्षण 10 से 15 साल में नजर आते हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। फाइलेरिया ऐसी बीमारी है, जो एक बार हो जाए तो कभी पूरी तरह से ठीक नहीं होती है। इस लाइलाज बीमारी से बचने के लिए साल में एक बार पांच साल तक लगातार बचाव की दवा का सेवन करना अनिवार्य है। इस साल भी 10 अगस्त से 2 सितम्बर तक जिले के करीब 33 लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर दवा खिलाएगी। दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को ( गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) फाइलेरिया से बचाव की दोनों दवाएं खिलानी हैं। एक से दो वर्ष के बीच के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े मारने की दवा दी जाएगी।

अभियान 10 से 2 सितम्बर तक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को चलेगा। किसी को भी खाली पेट दवा नहीं खिलाई जाएगी। इसी वजह से अभियान का समय सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक रखा गया है । अभियान के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम प्रतिदिन 25 घरों का विजिट कर कम से कम 125 लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएगी । दवा सेवन कराने के पश्चात दायें हाथ की अंगुली पर मार्कर से निशान भी लगाया जाएगा। इसके लिए 3159 टीम बनाई गई हैं । प्रत्येक दिन खिलाई गई दवा का विवरण ई कवच पोर्टल पर फीड करना अनिवार्य है।

कार्यक्रम में अर्बन नोडल अधिकारी डॉ आरपी यादव, जिला मलेरिया अधिकारी सीपी मिश्रा, डीसीपीएम राजेश गुप्ता, सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि, आशा कार्यकर्ताओं और आँगनबाड़ी कार्यकत्रियों सहित सीफार व पाथ संस्था के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

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