*जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर ने बरसात के मौसम में सर्पदंश की सम्भावित घटनाओं से बचाव दृष्टिगत अपील* ब्यूरो बेनकाब भ्रष्टाचार


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जनपदवासियों से अपील करते हुए अवगत कराया है कि सर्पदंश प्रबंधन (क्या करें क्या ना करें) राष्ट्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण भारत सरकार नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण लखनऊ के माध्यम से भारत और उत्तर प्रदेश में घटित सर्पदंश की घटनाएं प्रायः बढ़ने के दृष्टिगत उससे होने वाले नुकसान और बचाव हेतु एडवाइजरी जारी की गई है, जिसको व्यापक मात्रा में जनपद के विभिन्न संसाधनों (प्रिंट मीडिया/इलेक्ट्रानिक मीडिया व अन्य सोशल मीडिया आदि) के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना है। उक्त के आलोक में जिलाधिकारी महोदय संत कबीर नगर द्वारा उपलब्ध एडवाइजरी के माध्यम से जनपद वासियों से अपील किया जाता है कि सर्पदंश से बचाव व उसके लक्षण के विषय में जानकारी प्राप्त कर स्वयं बचे एवं दूसरे को भी बचाने का कार्य करें तथा साथ ही साथ एक दूसरे को जागरूक कर जनहानि की घटना को कम करने का प्रयास करें।
उन्होंने अवगत कराया है कि भारत में अन्य राष्ट्रों जैसे ऑस्ट्रेलिया व अमेरिका में विषैले सर्पों की प्रतिशतता 85-65 प्रतिशत आंकि गयी है जबकि विषहीन सर्प की प्रविशता 15-35 प्रतिशत है जिसके सापेक्ष मरने वाले की संख्या प्रव्येक वर्ष 0 से 10 व्यक्तियों की है, परन्तु भारत में विषैले सर्प मात्र 15 प्रतिशत ही है जिसके सापेक्ष भारत मे प्रत्येक वर्ष लगभग 45-46 हजार मृत्यु सर्पदंश से होती है, जिसका प्रमुख कारण लोगो में अज्ञानता व समय से ईलाज न कराने के वजाय झाड़-फूक आदि पर ज्यादा विश्वास करने से होती है।
भारत में विषैलें प्रमुख सर्प नाग (कोबरा)/कॉमन कैरत/स्कैल्ड वाईपर/रैसेल वाईपर व पिट्ट वाईपर पाये जाते है जो प्रायः उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, केरल, तमिलनाडू, उड़ीसा व आसाम आदि राज्यों के जंगलों में सर्वाधिक पाये जाते है। जिसकी बनावट व विशेषताये व लक्षण के बारे में ज़िला आपदा विशेषज्ञ द्वारा विस्तृत रूप से बताया गया है।
उन्होंने बताया कि बनावट (जहरीले सॉप)सिर-त्रिकोण (अपवाद कोबरा)/सिर के सल्क-छोटा/बेली स्केल- फैला हुआ/फैंग (विषदंत)/पुतलियॉ(इलिप्टिकल पुतली)/एनल प्लेट(एक लाइन वाली प्लेट) सॉप के आंख एवं नथुनों के बीच पिट या छेद पिट वाइपर मेें उपस्थित, बाइट का निशान दंश का निशान, विषहीन सॉप, सिर गोलाकार/सिर के सल्क (बडा)/बेली स्केल (फैला हुआ)/फैंग विषदंत (उपस्थित)/पुतलियॉ (इलिप्टिकल पुतली)/एनल प्लेट (एक लाइन वाली प्लेट), सॉप के आंख एवं नथुनों के बीच पिट या छेद पिट वाइपर मेें (उपस्थित),बाइट का निशान (दंश का निशान) है।
उन्होंने बताया कि काटे गये जगह को साबून व पानी से घोए, दांत के निसान की जॉच करें, कही जहरीले सर्प के काटने का दो दंत का निशान तो नही, काटे हुए अंग को हृदय के लेवल से नीचे रखें, सर्पदंश वाले अंग को स्थिर (फिक्स) करें तथा बैंडेज घाव पर और उसके उपर लगाये।, घायल व्यक्ति को संात्वना दे, घबराहट से हृदय गति तेज चलने से रक्त संचरण तेज हो जायेगा और जहर सारे शरीर में जल्द फैल जयेगा। तुरंत बड़े अस्पाताल ले जाए। यदि जहरीले सर्प ने काटा है तो ANTI VANOM SNAKE-AVS का इजेक्शन डाक्टर से लगवाएं।
उन्होंने बताया कि क्या न करें। बर्फ अथवा अन्य गर्म पदार्थ का इस्तेमाल काटे गये स्थान पर न करें। सर्प से प्रभावित व्यक्ति के कटे स्थान पर टुर्निकेट न बॉधे। इससे संबंधित अंग में रक्त प्रवाह पूरी तरह रूक सकता है एवं संबंधित अंग की क्षति हो सकती है। काटे गये स्थल पर चीरा न लगाए। यह आगे नुकसान पहुॅचाता है। घायल को चलने से रोकें। शराब/नींद आने की कोई दवा नहीं दें। मुंह से कटे हुये स्थान को न चुसे। मंत्र या तांत्रिक के झांसे में न आये। भय एवं चिन्ता न करें सभी सॉप जहरीले नहीं होते है। सभी जहरीले सॉपों के पास हर समय पूरा जहर नही होता अगर पूरा जहर हो तो भी वो इसका प्पजींस लिथल डोज हमेशा नहीं प्रवेश करा पातें है। सॉप के काटने के उपरान्त काटने के निशान की जॉच करें। जॉच करें कि जहरीले या विषहीन सॉप ने काटा है। सॉप के विष के अनुसार एंटी वेनम (इंजेक्शन) लगवाया जाए।

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