केजेएस सीमेंट के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका


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रिपोर्ट– प्रदेश संवाददाता पत्रकार अतुल कुमार तिवारी

बेनकाब भ्रष्टाचार न्यूज़ BBN

 

KJS Cement
विवादों के घेरे में है भारत के कॉरपोरेट घराने से जुड़ी अग्रणी सीमेंट कंपनी केजेएस सीमेंट. न सिर्फ खराब मैनेजमेंट बल्कि वित्तीय अनियमितताओं के मामले में भी।
केजेएस सीमेंट के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया पर उनकी भतीजी और कंपनी के संस्थापक दिवंगत केजेएस अहलूवालिया की बेटी हिमांगिनी सिंह ने गंभीर आरोप लगाए हैं. हिमांगिनी की शिकायत को हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी गंभीरता से लिया है. हिमांगिनी की शिकायत और एफआईआर को रद्द करने को लेकर पवन कुमार अहलूवालिया को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने ही एफआईआर रद्द करने से मना कर दिया है. पवन कुमार अहलूवालिया पर दो एफआईआर दर्ज की गई हैं.

केजेएस सीमेंट के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका

वित्तीय अनियमितताओं और कॉरपोरेट कुप्रबंध के आरोपों में घिरी केजेएस सीमेंट आजकल पारिवारिक झगड़े में फंसी हुई है. वो भी पवन कुमार अहलूवालिया और उनकी पत्नी के चलते. भतीजी हिमांगिनी के आरोपों के बाद ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने कंपनी के प्रबंध निदेशक, पवन कुमार अहलूवालिया पर एफआईआर दर्ज कराई थी. एफआईआर रद्द कराने के लिए पवन कुमार अहलूवालिया ने पहले हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से मना किया तो पवन कुमार अहलूवालिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से भी पवन कुमार अहलूवालिया को झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जांच को जारी रखने का आदेश दिया है, जिसके बाद केजेएस सीमेंट कंपनी और उसके प्रबंधन पर कानूनी दबाव और बढ़ गया है.

हिमांगिनी ने पवन कुमार अहलूवालिया पर क्या गंभीर आरोप लगाए हैं

हिमांगिनी सिंह ने कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान होने का आरोप लगाया है. हिमांगिनी ने अपने पिता दिवंगत केजेएस अहलूवालिया की मृत्यु के बाद कंपनी के कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. उन्होंने पवन कुमार और उनकी पत्नी इंदु अहलूवालिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनमें शेयरधारिता में हेरफेर, कर चोरी, और कंपनी के धन का व्यक्तिगत उपयोग शामिल है. आरोपों में कि कंपनी के धन का उपयोग ज्वेलरी, विदेश यात्राओं और कलाकृतियों जैसी विलासिता की वस्तुओं पर किया गया. हिमांगिनी ने यह भी दावा किया है कि उनके पिता के नाम पर मौजूद शेयरों को उनकी मृत्यु के बाद कम कर दिया गया, जो पारिवारिक व्यवसायों में पारदर्शिता और नैतिकता की कमी को दर्शाता है.

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इन आरोपों की जांच शुरू की. ईओडब्ल्यू ने भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया, जिसमें आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, और फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप शामिल हैं.

कंपनी के खिलाफ ये आरोप कर चोरी तक ही सीमित नहीं हैं.जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय, भोपाल इकाई, ने केजेएस सीमेंट की गतिविधियों पर गहन जांच की है. जांच में यह खुलासा हुआ है कि कंपनी ने बिना उचित चालान बनाए नकद में सीमेंट और क्लिंकर की बिक्री की. इन नकद लेनदेन से प्राप्त धन का उपयोग कच्चे माल, पैकिंग सामग्री, और अन्य व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया गया.

हिमांगिनी के ये भी आरोप हैं कि मध्य प्रदेश में कंपनी एक कोयला आपूर्ति समझौते से संबंधित विवाद में भी फंसी हुई है. इसके अलावा, पवन कुमार अहलूवालिया पर कोयला घोटाले में भी आरोप लगाए गए हैं, जिससे उनकी कानूनी मुश्किलें और बढ़ गई हैं.

वित्तीय अनियमितताओं की जांच जरूरी है- एक्सपर्ट

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भारत में सिर्फ पारिवारिक व्यवसायों के सामने आने वाली समस्याओं को ही नहीं उजागर करता है बल्कि उत्तराधिकार विवाद, पारदर्शिता की कमी, और कमजोर प्रबंधन तंत्र जैसी समस्याएं भी सामने हैं. वित्तीय कुप्रबंधन और अनियमितताओं के आरोप, अगर साबित होते हैं, तो यह न केवल केजेएस सीमेंट बल्कि भारत में कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जांच को गंभीरता से आगे बढ़ाने का संकेत दिया है. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय आरोपों की गंभीरता को मान्यता देता है और यह भी दिखाता है कि वित्तीय अनियमितताओं की गहराई से जांच क्यों आवश्यक है. जैसे-जैसे कानूनी कार्यवाही आगे बढ़ रही है, केजेएस सीमेंट और पवन कुमार अहलूवालिया से जुड़े कई खुलासे हो रहे हैं, कि कैसे व्यापार में ट्रांसपेरेंसी नहीं रखी गई है.

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